Lalach buri balaa :  लालच बुरी बला एक रोचक कहानी

Lalach buri balaa : बहुत पुरानी बात है एक गांव में शेखर नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह बड़ा मेहनती था किंतु गांव में कोई रोजगार नहीं था, उसने सोचा कि मैं शहर चला जाता हूं वहां मुझे मेरी योग्यता अनुसार मेहनत के पैसे मिल जाएंगे। यह सोचकर शेखर एक दिन अपने गांव से शहर की ओर चल दिया।

 शहर बहुत दूर था चलते-चलते शेखर थक चुका था। शेखर इतना थक गया था कि अब उससे बिल्कुल भी चला नहीं जा रहा था और वह थककर वहीं बैठ गया। तभी शेखर ने देखा कि वहां से कुछ दूरी पर एक झोपड़ी है और झोपड़ी में एक घोड़ा बंधा हुआ है। शेखर ने सोचा क्यों ना इस घोड़े को किराये पर ले लूं और इसी से शहर चला जाता हूं। 

Facebook Page Join Now
Telegram Channel Join Now

शेखर जैसे-तैसे झोपड़ी पर तक पहुंचा । शेखर ने देखा वहां एक व्यक्ति खड़ा हुआ है शेखर समझ गया कि यह अवश्य ही घोड़े का मालिक है। शेखर उस व्यक्ति से बोला-” मुझे आगे शहर में जाना है और शहर यहां से कई किलोमीटर दूर है, मैं बुरी तरीके से थक चुका हूं तो क्या मैं आपका घोड़ा ले सकता हूं।”

 इस पर घोड़े का मलिक झुंझलाते हुए बोला- ” तुम्हे क्या मैं घोड़ा ऐसे ही दे दूं।” शेखर बोला- ” मैं आपसे घोड़ा फ्री में नहीं लूंगा इसके बदले मैं आपको घोड़े का किराया दूंगा।” 

घोड़े का मालिक बोला- ” मैं तुम्हें घोड़ा किराए पर तो दे सकता हूं किंतु मुझे अभी दूसरे गांव जाना है, अगर तुम मुझेउस गांव तक छोड़ दो तो मैं यह घोड़ा तुम्हे किराए पर दे सकता हूं। “

See also  Pashu Kisan Credit Card Yojana 2025 | पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना से सभी किसानों को मिलेंगे 3 लाख रुपये

शेखर झट से तैयार हो गया, शेखर घोड़े पर आगे बैठ गया और घोड़े का मालिक पीछे। गर्मी के दिन थे बहुत तेज धूप थी दोनों चलते-चलते थक गए और पसीने से तरबतर हो गए । शेखर बोला-” बहुत तेज गर्मी है और थकान भी बहुत हो रही है, कहीं थोड़ी देर आराम कर लिया जाए।”

 दोनों ने इधर-उधर देखा किंतु कहीं भी कोई पेड़ नहीं दिखा, तभी शेखर घोड़ेघोड़े से उतरा और घोड़े के ही छांव में बैठ गया। शेखर थोड़ी देर ही घोड़े की छांव में आराम कर पाया था कि यह सब देखकर घोड़े का मालिक बुरी तरीके से जल गया । घोड़े का मालिक बोला-” मैंने तुम्हें घोड़ा किराए पर दिया है उसकी छाया किराए पर नहीं दी, तुम हटो यहां से इस छाया पर मेरा अधिकार है और मैं यहां आराम करूंगा।”

 यह सुनकर शेखर बोला – ” महानुभव ! आप यह कैसी बात कर रहे हैं, मैंने अगर घोड़ा किराए पर लिया है तो उसकी छाया पर भी मेरा ही अधिकार है। अगर आप चाहें तो आप भी इस छाया में मेरे साथ बैठकर आराम कर सकते हैं।”

 लेकिन घोड़े का मालिक बड़ा जिद्दी था वह बोला- ” नहीं-नहीं इस छाया पर सिर्फ और सिर्फ मेरा अधिकार है और मैं ही इसकी छाँव में बैठूंगा, तुम हटो यहां से।”

Lalach buri bala

 इतनी छोटी सी बात पर दोनों में जोर-जोर से बहस होने लगी और बात तू-तू मैं-मैं से हाथापाई पर आ गई। दोनों एक दूसरे से झगड़ने लगे और एक दूसरे पर लात घुसे बरसाने लगे। सुनसान जंगल में उनके बीच बचाव करने वाला भी कोई नहीं था। दोनों की लड़ाई देखकर घोड़ा भड़क गया और वहां से भाग गया। 

See also  Create A Website Free Website Kaise Banaye - फ्री वेबसाइट कैसे बनाये

थोड़ी देर बाद जब घोड़े के मालिक ने घोड़े को देखा तो वह कहीं दिखलाई नहीं दिया, यह देखकर घोड़े का मालिक बोला-” अरे मेरा घोड़ा कहां चला गया, वह तो अभी नया है । उसने ठीक से घर भी नहीं देखा, पता नहीं वह कहां गया और अब मैं उसे कैसे ढूंढूं।”

 तभी शेखर बोला-” अच्छा हुआ तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही होना चाहिए, अभी तुम छाया के लिए परेशान हो रहे थे अब घोड़े की काया के लिए परेशान होना।”

घोड़े के मालिक को अपनी गलती का एहसास हुआ और अपना माथा पीठ कर हाय तौबा करते हुए बैठ गया और बोला-” मेरे थोड़े से लालच से मेरा कितना बड़ा नुकसान हो गया मुझे अपनी करनी का फल मिल गया । घोड़े की छाया के लोभ के कारण घोड़े की काया से भी हाथ धो बैठा।”

 शिक्षा-” इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि Lalach buri balaa है और कभी-कभी छोटे से लोभ के कारण बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।”

Leave a Comment